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निर्णय कैसे लिखते है ?How to write judgement writing in hindi?आदेश | भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के अधीन निर्णय

                                                               निर्णय संख्या-X 

भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के अधीन निर्णय

न्यायालय,अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश,लखनऊ 

उपस्थित: श्री एस के सिंह एल एल एम, एच जे एस एस एस सी नं 210/2014  

उत्तर प्रदेश राज्य                                                                                                                     वादी

बनाम 

1.अ 

2.ब 

अभियोजन की ओर से                                                                                          लोक अभियोजक                     

अभियुक्त गण की और से अभिवक्ता                                                                     श्री प्रदीप कुमार 

                                                                    निर्णय

अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' के खिलाफ श्री ' ज ' की हत्या करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के अधीन अभियोग पत्र ( Charge - sheet ) दाखिल किया गया है । अभियोजन पक्ष का कहना यह है कि अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' मृतक  'ज ' के सगे भतीजे हैं ।

मृतक ज ' 20 एकड़ जमीन और 5 एकड़ आम की बाग का मालिक था । उसकी पत्नी मर चुकी थी और बिना औलाद का था |

अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' मृतक ' ज ' के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं । परन्तु मृतक ' ज ' अपनी सम्पत्ति बेचना चाहता था लेकिन ' अ ' और ' ब ' रुपया देकर सम्पत्ति खरीदना नहीं चाहते थे । इसलिए मृतक ‘ ज ' अपने पड़ोसी श्री शिवबिहारी सिंह को अपनी सारी सम्पत्ति 5 लाख रुपये में बेचने के लिए तैयार था । शिवबिहारी सिंह भी जमीन खरीदने के लिए तैयार हो गए थे । बैनामे की तारीख भी तय हो गई थी । यदि मृतक ' ज ' बैनामा लिख देता तो सम्पत्ति शिवबिहारी सिंह की हो जाती और अभियुक्त ' अ ' तथा ' ब ' को न मिलती । इसलिए अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' ने अपने चाचा श्री ' ज ' को बैनामा लिखने के पहले ही मार डालने की योजना बनाई । अभियुक्तों ने इस योजना में अपने घनिष्ठ मित्र श्री रामलाल को शामिल करना चाहा । उन्होंने श्री रामलाल को इस योजना में शामिल होने के बदले में 10,000 रु ० और जमीन मिल जाने पर 2 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव भी किया परन्तु श्री रामलाल ने उनकी इस घृणित योजना में शामिल होने से साफ मना कर दिया । श्री रामलाल ने अभियुक्तों को समझाया कि वे अपने चाचा श्री ' ज ' की हत्या करने के इरादे को अपने मन से निकाल दें । वह उनके चाचा की ' ज ' को समझा देगा । वे उसकी बात नहीं टालेंगे । इसके अतिरिक्त वह शिव बिहारी सिंह को यह समझा देगा कि वे श्री ज ' की जमीन न खरीदें । अभियुक्त चुपचाप श्री रामलाल के घर से चले आए और शराब के ठेके पर जाकर 2 बोतल शराब खरीदी । इसके बाद वे अपने घर चले आए फिर उसी दिन 15 अगस्त , 2013 को केवल ' अ ' मृतक ' ज ' के घर गया और कहा कि चाचा बड़ी अच्छी शराब लाया हूँ आज जी भरकर पी लो । मृतक ' ज ' शराब देखकर शराब पीने के लिए तैयार हो गया । अने ' ज ' को खूब शराब पिलाई और स्वयं थोड़ी पी । इतने में अभियुक्त ' ब ' भी आ गया । उसके हाथ में लाठी थी । मृतक ' ज ' नशे में बेहोश हो चुका था । ' अ ' और ' ब ' दोनों ने मिलकर ' ज ' के गले पर लाठी रख दी और दोनों लाठी के दोनों सिरों पर खड़े हो गए । ' ज ' के मुँह से बहुत तेज चीख निकली । यह सुनकर पड़ोसी बनवारी लाल और मुन्नू लाल ' ज ' के घर की ओर लपके । वहाँ उन्होंने ' ज ' को मरा हुआ पाया । उन्होंने पुलिस को सूचित कर दिया ।जिसने 'ज' की लाश को जब्त कर लिया 

अभियोजन की ओर से कुछ गवाह पेश किए गए हैं जिनमें पी ० डब्लू 1 श्री अशोक मेहरोत्रा सरकारी डाक्टर हैं उन्होंने ही मृतक के शव का पोस्टमार्टम किया था । डॉ ० मेहरोत्रा ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने ही मृतक जक शव का पोस्टमार्टम किया था । पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार मृतक की मृत्यु का कारण साँस का घुटना था इसके अतिरिक्त मृतक के गर्दन पर लाठी को चोट के निशान थे तथा जीभ बाहर निकली हुई थी । इससे ऐसा लगता था कि मृतक मरने के पहले चिल्लाया होगा ।

पी  ० डब्लू . 2 श्री शिवबिहारी सिंह हैं जिसने यह स्वीकार किया है कि मृतक ' ज ' की जमीन वह 5 लाख रुपये मेंखरीदने को तैयार था जिसका बैनामा 20 अगस्त , 2013 को होना निश्चित हुआ था । उसने यह भी स्वीकार किया है कि अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' उसके पास आए थे और कहा था कि वह मृतक ' ज ' की सम्पत्ति न खरीदे । 

 पी ० डब्लू ० 3 श्री रामलाल है जिसने अभियोजन की कहानी को पुष्ट किया है । उसका यह भी कहना है कि ' अ ' और के उसके घर से चले आने के बाद वह मृतक को यह समझाने जा रहा था कि वह अपनी जमीन - जायदाद न बेंचे । जब वह मृतक के दरवाजे पर पहुँचा ही था तो उसने मृतक की चीख सुनी और लपककर जब घर में घुसा तो छप्पर के नीचे ' ' की लाश पड़ी हुई थी , उसे देखते ही ' अ ' और ' ब ' भाग निकले । उसने यह भी स्वीकार किया है कि उसके घटनास्थल पर पहुँचने के करीब 2 मिनट बाद ' ज ' के पड़ोसी बनवारी लाल और मुन्नू लाल भी पहुंचे थे ।

 पी ० डब्लू 0 3 और 4 बनवारी लाल और मुन्नूलाल हैं जो ' ज ' के पड़ोसी है जिन्होंने यह स्वीकार किया है कि मृतक की चीख सुनकर जब वे मृतक के घर पहुँचे तो ' अ ' और ' ब ' मृतक की लाश छोड़कर भाग रहे थे । लाश के पास शराब की दो बोतलें खाली पड़ी थी और पड़ोस में एक लाठी पड़ी हुई थी । उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि श्री रामलाल मुझसे थोड़ा पहले घटना स्थल पर पहुंचे थे । उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि जब वह घटना स्थल पर पहुँचा तो दिन के दो बजे थे । 

पी ० डब्लू ० 5 शराब के ठेके का मुनीम है जिसने यह स्वीकार किया है कि घटना के दिन लगभग एक बजे दिन में ' अ ' और ' ब ' शराब की दो बोतलें उसकी दूकान से ले गए थे । 

पी ० डब्लू ० 6 विश्राम यादव औपचारिक गवाह है और थाने का बड़ा मुंशी है जिसने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी । यह स्वीकार किया है कि उसने ही उक्त केस की एफ ० आई ० आर ० दर्ज की थी । 

पी ० डब्लू 7 रणबीर सिंह थाने का सब - इंस्पेक्टर भी औपचारिक गवाह हैं जिन्होंने जाँच करके चार्ज शीट , फर्द जामातलाशी और घटना स्थल का नक्शा आदि दाखिल किया था । उसने उक्त चीजों को साबित किया है । 

अभियुक्तों ने बचाव में यह कहा है कि शराब मैंने ' ज ' को नहीं पिलाई थी बल्कि ' ज ' ने उन्हें स्वयं शराब पिलाई थी और उसकी मौत अधिक शराब पीने से हो गई थी । उन लोगों ने उसे नहीं मारा था । उसने बचाव में यह भी कहा है कि रामलाल और उनके पड़ोसी बनवारी लाल व मुन्नू लाल उससे रंजिश रखते हैं इसलिए उन्होंने उसके खिलाफ गवाही दी है । 

बचाव पक्ष के विद्वान् अधिवक्ता श्री ओम प्रकाश शर्मा ने कड़ी जिरह की है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके मुवक्किलों को रंजिशन फँसाया गया है । उन्होंने बहस में यह भी कहा है यदि थोड़ी देर को यह मान भी लिया जाय कि उनके मुवक्किलो ने ' ज ' की हत्या उसके गले पर लाठी रखकर की है तो गवाहों का यह कहना कि उन्होंने ' ज ' की चीख सुनी थी , मिथ्या लगता है क्योंकि ' ज ' जब नशे में था तो कैसे चीखा होगा । 

अभियुक्तों ने अपने बचाव में गवाहों से दुश्मनी होने का तर्क प्रस्तुत किया है परन्तु , न तो अभियुक्त और न ही उनके विद्वान् अधिवक्ता गवाहों से दुश्मनी साबित कर पाए हैं । इसके अतिरिक्त अभियुक्तों का यह कहना कि मृतक अधिक शराब पीने से मर गया था इसलिए विश्वास योग्य नहीं है क्योंकि डाक्टरी रिपोर्ट में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया है । 

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं इस निश्चय पर पहुँचा हूँ कि अभियोजन पक्ष ' अ ' तथा ' ब ' के विरुद्ध ' ज ' की हत्या का अपराध साबित करने में सफल रहा है । इसलिए इस विनिश्चय में सन्देह नहीं है कि अभियुक्त ' अ ' और ' ब ' भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के अधीन ' ज ' की हत्या करने के दोषी हैं । 

                                                                    आदेश

 ' अ ' तथा ' ब ' को ' ज ' की हत्या करने के अपराध में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302/34 के अधीन दण्डित किया जाता है और दोनों अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है । 

यह निर्णय आज दिनाङ्क 20.9.2014 को खुले न्यायालय में अभियुक्तों को सुनाया गया । 

तारीख -20.9.2014                                                                                     ह ० ए ० के ० सिंह 

                                                                                                    अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश

                                                                                                                         लखनऊ


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